
मेले में लगे पोस्टर ने सात माह पहले बिछड़ गए नवादा के बच्चे को मां से मिलाया l मेले में लोगों के मिछड़ने की अनगिनत कहानियां है। फिल्में मन चुकी है। लेकिन इस बार महाकुंभ मेला बिछड़ने नहीं मिलन का गवाह बना। सात माह पहले परिवार से बिछड़े नवादा के बच्चे को उसकी मां से मिला दिया। महाकुंभ स्नान करने प्रयागराज गए एक परिचित ने बच्चे का फोटो लगा पोस्टर मेले में देखा। वे उसे पहचान गए। उन्होंने परिजनों को बताया।
रविवार को बच्चा सकुशल लौट आया है। नवादा जिले के वारिसलीगंज के 13 वर्षीय अमरजीत के पिता सुजीत दास और मां काजल दास बेटे की तलाश में काफी परेशान थे। सदमें में मां की तबीयत खराब हो गई थी। पिता का पैर टूट गया था। अमरजीत की तलाश में उसके नाना कृष्ण दास ने आधा कट्ठा जमीन भी बेच दी। यह ननिहाल में रहता था। 29 मई को वह ननिहाल से घर आया था और 30 मई को लापता हो गया। माता-पिता मान चुके थे कि अब उसका बेटा नहीं मिल पाएगा। अमरजीत तीसरी कक्षा में पढ़ाई करता था। वह लकवाग्रस्त है। पुलिस गुमशुदा अमरजीत की तलाश कर रही थी।
अमरजीत पहले घर लौट आता लेकिन वह अपना नाम तो ठीक बता रहा था पर वारिसलीगंज के बजाय वैशाली बताता रहा। इसलिए आश्रम वाले नहीं समझ पा रहे थे। लेकिन पड़ोसी व्यक्ति ने पहचान लिया। प्रयागराज से काजल के भैसुर दिलीप दास के एक परिचित का फोन आया कि अमरजीत प्रयागराज कुंभ मेले में है। कुंभ में उसका पोस्टर लगा है। वह प्रयागराज रेलवे स्टेशन के समीप एक अनाथ आश्रम में है। वीडियो कॉल पर अमरजीत को दिखाया। उसके बाद परिजन अमरजीत की लाने प्रयागराज गार। अमरजीत जब खोवा था तवसे प्रयागराज के एक अनाथ आश्रम में रह रहा था।