July 8, 2025

 विधानसभा चुनावों के पहले एक गंभीर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।  विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने काकद्वीप में वोटर लिस्ट से जुड़े एक बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि राज्य प्रशासन की मिलीभगत से रोहिंग्या घुसपैठियों को पैसे लेकर वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है। सोमवार को शुभेंदु 25 विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल से मुलाकात करने पहुंचे और पूरे मामले की सीबीआई  जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि काकद्वीप में चुनावी प्रक्रिया के साथ गंभीर छेड़छाड़ की गई है, जिससे ना केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हुई है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा भी है। 
शुभेंदु का आरोप है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के लिए काकद्वीप के एसडीओ और जिलाधिकारी जिम्मेदार हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने इस मामले में असिस्टेंट सिस्टम मैनेजर अरुण गड़ाई को बलि का बकरा बना दिया है। शुभेंदु ने कहा कि अरुण गड़ाई को फंसाया गया है ताकि बड़े अधिकारियों को बचाया जा सके। उन्होंने दावा किया कि स्थानीय रोहिंग्या समुदाय ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि उन्होंने तृणमूल नेताओं को 10,000 देकर वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाया। इसके बावजूद मामले की निष्पक्ष जांच पुलिस के बजाय केंद्रीय एजेंसी से क्यों नहीं कराई जा रही है, यह एक बड़ा सवाल है।
शुभेंदु ने यह भी बताया कि अरुण गड़ाई ने खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने आयोग से पूछा कि जो पुलिस पीडि़तों की शिकायत पर कार्रवाई तक नहीं करती, वही पुलिस ऐसी गंभीर चुनावी गड़बडिय़ों की जांच कैसे कर सकती है? उन्होंने  शमशेरगंज और धुलियन क्षेत्रों में वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों के दौरान पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए और कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पुलिस ने पीडि़तों के फोन तक नहीं उठाए।
भाजपा ने आयोग के समक्ष यह भी मांग रखी कि जब एसआईटी ने पुलिस की लापरवाही को प्रमाणित किया है, ऐसे में पुलिस को चुनाव ड्यूटी में कैसे लगाया जा सकता है? वहीं पुलिस जो लोगोंं की सुरक्षा में विफल है, वो मतदाता की रक्षा करेगी? आयोग ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और चुनाव आयोग से चर्चा करने का आश्वासन दिया है।

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