
आपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी ड्रोन हमले में देश के लिए बलिदान देने वाले चौसा के लाल नरबतपुर निवासी सेना के हवलदार सुनील सिंह यादव का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया। इससे पहले बलिदानी को लेकर घर की ओर बढ़ रहे सैन्य वाहन के आगे-पीछे हजारों की भीड़ ‘भारत माता की जय’ और ‘सुनील सिंह अमर रहें’ के गगनभेदी नारे लगाते चल रही थी। लोगों के चेहरों पर बलिदान का गर्व और आंखों में पाकिस्तान के प्रति आक्रोश साफ झलक रहा था।
अपने लाल को खोने का गम था, लेकिन यह गौरव भी था कि देश की रक्षा करते हुए अपना सवर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी पत्नी, दो बेटे, पिता और छोटे भाई ने नम आंखों से उन्हें अंतिम सलामी दी। बलिदानी की पत्नी सुजाता देवी ने दृढ़ स्वर में कहा कि हमें गर्व है कि मेरे पति ने देश के लिए हंसते-हंसते जान दे दी। यदि जरूरत पड़ी तो वह अपने दोनों बेटों को भी देश के हवाले कर दूंगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि गांव में बलिदानी के नाम पर स्मारक गेट और शेरशाह युद्धस्थली पर प्रतिमा बनाई जाए। घर के सामने श्रद्धांजलि के बाद अंतिम संस्कार गंगा नदी किनारे रानी घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। सेना व पुलिस के जवानों ने गार्ड आफ आनर दिया। बड़े पुत्र सौरभ ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले जिलाधिकारी विद्यानंद सिंह, पुलिस अधीक्षक शुभम आर्या और
अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बलिदानी को सलामी देकर पुष्पांजलि अर्पित की। डीएम ने कहा कि बलिदानी फौजी के परिवार ने सरकार से कुछ मांग की है, जिसे उचित माध्यम से राज्य मुख्यालय को अवगत कराया जाएगा। नौ मई की रात आपरेशन सिंदूर के ठीक बाद पाकिस्तान के ड्रोन हमले में हवलदार सुनील सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने पांच जून को अंतिम सांस ली।