पुनपुन से लौटे तीर्थयात्री भाद्रपद पूर्णिमा बुधवार को विष्णुनगरी में फल्गु के घाटों पर दिखे। पितृपक्ष के पहले दिन बुधवार की अहले सुबह से पिंडदानी विभिन्न मार्गों से होते हुए देवघाट पर पहुंचे। इनमें अधिकतर त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वाले। त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध को लेकर पिडदानियों ने फल्गु में डुबकी लगायी। लबालब भरे रबर डैम में खड़े होकर तीर्थयात्रियों ने तर्पण कर पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। इसके बाद घाट पर दो से तीन घंटे बैठकर पूरे विधान के साथ फल्गु श्राद्ध किया। पिंडदान के बाद विष्णुचरण के दर्शन-पूजन किए। वहीं दूसरी ओर आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को लेकर कुछ पिंडदानियों ने बुधवार को फल्गु के बाद प्रेतशिला जाकर पिंडदान किया। ब्रह्मकुंड, प्रेतशिला, रामकुंड, रामशिला और कागबलि वेदी पर कर्मकांड कर पितरों के मोक्ष व प्रेतयोनि से मुक्ति की कामना की। एक अनुमान के मुताबिक बुधवार की शाम तक 80 हजार से अधिक
पिंडदानी गयाजी पहुंच चुके हैं। पुनपुन के बाद त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वाले तीर्थयात्रियों की भीड़ बुधवार को विष्णुपद व फल्गु क्षेत्र में रही। सुबह अपने-अपने पंडा से आज्ञा लेकर पंडित जी के साथ फल्गु नदी के लिए चल दिए। फल्गु नदी के रबर डैम से लेकर मोक्षधाम घाट तक पिंडदानी शेड, पंडाल व खुले में बैठकर पूर्वजों को याद कर पिंडदान किया। गया। गया पवित्र भूमि है। इसकी ग्रंथों में चर्चा है। गया से बिहार का चेहरा दिखलाई पड़ेगा। गया बिहार के गौरव को बढ़ाएगा। बिहार ही नहीं पूरा देश गर्व करेगा। ऐसा वातावरण बनाना है।
पितृपक्ष में अतिथि देवो भव के भाव से तीर्थयात्रियों को सम्मान करें। ये बातें सूबे के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को गया में कहीं। तीर्थयात्रियों ने जौ, चावल और दूध से बने खीर से पिंड बनाए। पूरे विधान के साथ मंत्रोच्चार के बीच पितरों के निमित्त कर्मकांड किया। इसके बाद विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में तीर्थयात्रियों ने श्री विष्णुचरण के दर्शन-पूजन किए।