October 21, 2025

आगामी 18 जुलाई को दुर्गापुर में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा को लेकर बंगाल भाजपा के भीतर राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। इस रैली में ‘दिल्ली लौटेÓ दिलीप घोष की मौजूदगी को लेकर ज़ोरदार अटकलें लग रही हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, जिन्होंने बर्धमान-दुर्गापुर सीट से ही पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा था, उस समय खुद प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी सराहना करते हुए उन्हें बड़ा नेता बताया था लेकिन हाल के दिनों में दिलीप घोष पार्टी के भीतर आलोचना और संदेह के घेरे में रहे हैं। 30 अप्रैल को दिघा में जगरनाथ मंदिर उद्घाटन समारोह में दिलीप घोष मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण पर पहुंचे थे। ममता के बगल में सपत्निक बैठे दिलीप घोष की तस्वीरें वायरल होने के बाद भाजपा के भीतर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। इसके बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठे। कई प्रदेश नेताओं ने सार्वजनिक रूप से उनका विरोध किया और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस कदम को नापसंद किया। 
हालांकि, हाल ही में जब शमिक भट्टाचार्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तब दिलीप घोष और नेतृत्व के बीच की दूरी कुछ कम होती दिखी। शुरुआत में उन्हें शमिक के स्वागत समारोह में नहीं बुलाया गया लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा दफ्तर जाकर शमिक को शुभकामनाएं दीं और कहा कि वे उनके नेतृत्व में तृणमूल के खिलाफ लड़ाई में तैयार हैं। इसके तुरंत बाद दिलीप घोष को दिल्ली बुलाया गया, जहां उन्होंने केंद्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश समेत कई शीर्ष नेताओं से अलग-अलग बैठकें कीं। अब सवाल यह है कि क्या 18 जुलाई को दुर्गापुर की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिलीप घोष भी मंच पर मौजूद होंगे?
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि दिलीप घोष को प्रधानमंत्री की सभा में बुलाया जाएगा या नहीं, इसका निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करेगा। अगर वह दिल्ली में अपनी बात मनवा पाए हैं, तो उन्हें मंच पर जगह मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि नए प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य चाहते हैं कि प्रधानमंत्री की सभा से एकजुट बंगाल भाजपा का संदेश जाए। इसलिए वे राज्य के सभी वरिष्ठ नेताओं को आमंत्रित करने की बात कर रहे हैं।  यह रैली इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक शहीद दिवस रैली होनी है, जिसे ममता बनर्जी का शक्ति प्रदर्शन माना जाता है। ऐसे में उसके ठीक पहले दुर्गापुर में प्रधानमंत्री की मौजूदगी से भाजपा एक राजनीतिक संतुलन और संदेश देने की कोशिश कर रही है। क्या दिलीप घोष की राजनीतिक वापसी की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के मंच से होगी यह सवाल भाजपा और बंगाल की राजनीति दोनों के लिए अहम बन गया है। 18 जुलाई को दुर्गापुर की सभा सिर्फ एक जनसभा नहीं, बल्कि भाजपा के आंतरिक समीकरणों और एकता का भी इम्तिहान साबित हो सकती है। 

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