पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान कार्य दबाव झेल रहीं एक महिला बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) की आत्महत्या को लेकर बुधवार को चुनाव आयोग पर निशाना साधा।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा कि एसआईआर शुरू होने के बाद से राज्य में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। उनके अनुसार, कुछ लोगों ने भय और अनिश्चितता के कारण जान गंवाई है, जबकि कई अन्य की अत्याधिक तनाव और दबाव के कारण मौत हुई है। जलपाईगुड़ी जिले के माल बाजार में अंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बीएलओ शांति मणि एक्का ने दबाव के चलते आत्महत्या कर ली। परिवार का आरोप है कि वे घर-घर जाकर गणना प्रपत्र बांटने और भरकर वापस लेने की निरंतर जिम्मेदारी से मानसिक दबाव में थीं।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने तीन वर्ष में होने वाले काम को दो माह में पूरा कराने के प्रयास में बीएलओ पर अमानवीय बोझ डाल दिया है। उन्होंने आयोग से ‘अयोजित और अनियोजित अभियान’ को तत्काल रोकने की अपील की, ताकि और जनहानि रोकी जा सके।
इसी महीने की शुरुआत में पूर्व बर्दवान जिले के मेमारी में भी एक महिला बीएलओ नमिता हांसदा की मृत्यु कार्य दबाव में आने वाले स्ट्रोक के कारण हुई थी। वे भी घर-घर जाकर एसआईआर से संबंधित प्रपत्र वितरित करने और जमा करने के काम में लगी थीं।
तृणमूल कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि एसआईआर घोषणा के बाद से राज्य में भय का माहौल है और लोग मतदाता सूची से अपना नाम हटने की आशंका में तनाव में जी रहे हैं। पार्टी का दावा है कि इस स्थिति के लिए चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिम्मेदार हैं, जबकि भाजपा का कहना है कि तृणमूल जनता के बीच अनावश्यक डर फैला रही है।
