केबुल कंपनी को एनसीएलटी की ओर से वेदांता को पुन: संचालित करने के आदेश देने व कर्मचारियों को दी जाने वाली राशि को केबुल बचाओ संघर्ष समिति ने अनदेखी बताया है. समिति ने कहा कि केबुल कंपनी खुलने का वे स्वागत करते हैं लेकिन कर्मचारियों को दी जाने वाली राशि को लेकर जो आदेश जारी किया गया है उसमे कर्मचारियों के अन्याय हुआ है. वे इस मामले को लेकर एनसीएलएटी, नई दिल्ली का दरवाजा खटखटाएंगे. उन्होंने कहा कि वर्षों से केबुल कंपनी को खुलवाने के लिए कर्मचारी संघर्ष करते आ रहे हैं, लेकिन आदेश में उनके हितों की अनेदखी की गई है।
सोमवार को केबुल कालोनी स्थित सीडल्यूसी क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में केबुल संघर्ष समिति के महामंत्री यू के शर्मा ने कहा कि इंकैब मामले पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जो आदेश आया है उसके तहत रिजाल्यूशन प्रोफेशनल ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स से मिलीभगत कर कंपनी की देनदारी को 21.63 करोड़ रुपये से बढ़ाकर ब्याज सहित 460 करोड़ बताया है. उन्होंने कहा कि एनसीएलटी में वेदांता ग्रुप के 545 करोड़ के रिजाल्यूशन प्लान में कर्मचारियों की दावेदारी को घटाकर मात्र 6 प्रतिशत कर दिया है जिससे संघर्ष कर रहे कर्मचारियों को भारी नुकसान होगा. कोर्ट उनकी कुल दावेदारी 254 करोड़ के बदले में सिर्फ 6 प्रतिशत दे रही. पीएफ-ग्रेच्युटी पर जो क्लेम है उसे शून्य कर दिया गया है जबकि जो फर्जी कंपनियां हैं उनके क्लेम को 50 प्रतिशत स्वीकृत कर दिया है, कहीं-कहीं तो 95 प्रतिशत तक स्वीकृत कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह से इस आदेश में असमानता दिख रही है. उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति एनसीएलएटी जाएगी यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटायेंगी. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज इंकैब की सम्पत्ति जमीन में मिलती जा रही है. इंकैब की सुरक्षा के लिए पांच लाख रुपये प्रतिमाह सिक्यूूरिटी एजेंसी को दी जा रही है लेकिन खुलकर चोरियां हो रही. अब स्थिति कंपनी में है कि बड़ी-बड़ी मशीनें भी नजर नहीं आती. इस मौके पर समिति के अध्यक्ष बी बी महतो, महामंत्री यू के शर्मा, कोषाध्यक्ष कल्याण शाही, समाजसेवी शिवशंकर सिंह, हनी परिहार, शैलेश पांडेय आदि मौजूद थे।
