
ट्रेनों के परिचालन को बेहतर, सुगम और सुरक्षित करने की दिशा में लगातार तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. इस दिशा में एंटी फॉग डिवाइस और कवच जैसी आधुनिक तकनीक भी अब रेल इंजन में लगायी जा रही है, लेकिन इसके बावजूद कोहरे के कारण ट्रेनों की लेट-लतीफी जारी है। खास बात है कि एक ट्रेन में करीब तीन लाख रुपये खर्च कर दानापुर मंडल से गुजरने वाली करीब 200 से अधिक ट्रेनों में एंटी फॉग डिवाइस लगाय गया है। इसके बावजूद जंक्शन पर ट्रेने 10 से 15 घंटे लेट से पहुंच राही हैं, यहां तक कि कोई-कोई ट्रेन 24 घंटे तक लेट हो रही हैं, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।
110 से घट कर 70 की रफ्तार पर आ गयीं ट्रेनें यह डिवाइस लगने के बाद भी ट्रेनों की गति 110-120 किमी से घट कर 70 से 75 किमी प्रति घंटा रह गयी है। मालगाड़ी की गति 90 से घट कर 60 किमी प्रति घटा रह गयी है। इतना ही नहीं, कोहरे के मद्देनजर रेलवे ने दो दर्जन से अधिक ट्रेनें पहले ही रद्द कर दी है। इनमें जनसाधारण एक्सप्रेस, कुंभ एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेने भी शामिल हैं। इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ गयी है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब हर ट्रेन को एंटी फॉग डिवाइस से लैस किया जा चुका है, तब क्यों ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। रविवार को राजधानी पांच घंटे, तो विक्रमशिला एक्सप्रेस चार घंटे लेट पहुंची उत्तर भारत में पड़ रही ठंड और कोहरे ने आम जनजीवन अस्त- व्यस्त कर दिया है।
परिवहन साधनों पर कोहरे का काफी असर पड़ रहा है। बड़ी संख्या में ट्रेने प्रभावित हो रही है. कई-कई घंटे लेट होकर ट्रेनों का संचालन हो रहा है या फिर ज्यादा देर से संचालित हो रही ट्रेनों को निरस्त तक करना पड़ रहा है. वहीं, रविवार को दर्जनों ट्रेनें काफी देरी से पटना जंक्शन व राजेंद्र नगर टर्मिनल पहुंची, जिससे ट्रेनों का इंतजार कर रहे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। ट्रेन नंबर 12310 तेजस राजधानी पांच घंटे देरी से आयी, इसी क्रम में 12394 संपूर्णक्रांति एक्सप्रेस 3 घंटे, 12368 विक्रमशिला 4 घंटे, 15657 ब्रह्मपुत्रा मेल 2 घंटे 16 मिनट, 12368 विक्रमशिला 52 मिनट देरी से पहुंची, जानकारों के अनुसार कोहरे व खराब मौसम ने ट्रेनों का संचालन बेपटरी होने लगा है. खासतौर पर दिल्ली रूट की ट्रेनों को रुक-रुक कर चलना पड़ा, राजधानी और वदे भारत जैसी वीआइपी ट्रेनों से लेकर मेल-एक्सप्रेस तक देरी चली. कोहरे के चलते विजिबिलिटी काफी कम रही, जिससे ट्रेनों की 110 से 150 की तुलना में सिर्फ 70 से 75 प्रति घंटे की रफ्तार से से चलाना पड़ा।