एम्स पटना में केंद्रीय विजिलेंस की टीम ने आकर शनिवार को टेंडर व नियुक्ति संबंधी फाइलों का निरीक्षण किया। इसे ले रविवार को भी चर्चा गरम रहीं। अरुण कुमार समेत इस दो सदस्यीय टीम ने नियुक्तियां, टेंडर व अन्य कार्यों की फाइलों की जांच की। टीम में सेवानिवृत्त आइएएस व विजिलेंस के पदाधिकारी होते हैं जो एम्स जैसे केंद्रीय संस्थानों के कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया का पुनर्मूल्यांकन करते हैं।
एम्स के कर्मचारियों के अनुसार निदेशक व एक डीन के पुत्र के गलत गैर क्रीमी ओबीसी प्रमाणपत्र बनवा कर पीजी पाठ्यक्रम में नामांकन व असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के बाद यह टीम गत दो वर्ष में हुई नियुक्तियों से संबंधित फाइलों का निरीक्षण करने आई थी। बहुत से कागजातों को विजिलेंस टीम अपने साथ ले गई है। वहीं पदाधिकारियों के अनुसार एम्स पटना में कई विकास कार्य के चल रहे हैं। इसके लिए विभिन्न टेंडर आदि निकाले जाते हैं।
पारदर्शिता सुनिश्चित कराने के लिए एम्स प्रबंधन केंद्रीय विजिलेंस टीम से इसका कोई निरीक्षण कराता है ताकि कहीं गड़बड़ी नहीं हो सके। दो वर्ष तीन माह पूर्व एम्स पटना के निदेशक बने डा. जीके पाल को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गैर क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाणपत्र बनवाकर उसका लाभ लेने के मामले में हाल में पद से हटाते हुए मंत्रालय से सम्बद्ध किया है। इसी बीच एक डीन के पुत्र को एम्स की आंतरिक कमेटी ने दोषी पाया था। जांच रिपोर्ट को स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे की कार्रवाई के लिए अपने पास मंगवाया है। इसके बाद केंद्रीय विजिलेंस टीम के निरीक्षण को देखते हुए कर्मचारियों दावे को सच माना जा रहा है।