गोपाल मैदान में टाटा स्टील की ओर से आयोजित ट्राइबल कॉन्क्लेव ‘संवाद’ के चौथे दिन देश भर के 26 अलग-अलग राज्यों से आए जनजातीय कालकारों ने अपनी आकर्षक प्रस्तुतियों से समां बांधे रखा. उनकी प्रस्तुति में समृद्ध व विकसित भारत की झलक देखने को मिली. उन्होंने देश की संप्रभुता, अखंडता का अपनी प्रस्तुति के माध्यम से परिचय दिया. कलाकारों ने अपने-अपने राज्यों के लोकप्रिय जनजातियां गाने व नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसके माध्मय से उन्होंने यह बताया कि यह उनके राज्यों के लिए क्यों खास बना है. इस दौरान शहरवासियों की भीड़ जुटी रही।
टाटा स्टील संवाद के चौथे दिन आदिवासी समुदायों की आवाजों को बढ़ावा देने के समागम के दृष्टिकोण को और मजबूत किया, जहां वे आदिवासी ज्ञान, सामुदायिक नेतृत्व और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों की बढ़ती प्रासंगिकता पर चिंतन करने के लिए एकत्र हुए. मंगलवार का दिन अखड़ा में कई सत्रों के साथ शुरू हुई, जहां प्रतिभागियों ने आदिवासी दृष्टिकोण से विकास पर चर्चा की। कला और हस्तशिल्प सत्र में उत्पादों की बाजार प्रासंगिकता को समझने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
आदिवासी उपचार पद्धतियों ने स्वास्थ्य कर पारंपरिक व्यंजनों पर चर्चा की, और समुदाय के साथ नामक सत्र ने सिनेमाई लेंस के माध्यम से जनजातीय पहचान और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व की गहराई में प्रवेश किया। शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम में संथाल, मिज़ो, माविलन, गुर्जर और सबर समुदायों के प्रदर्शन ने विभिन्न कहानियों, लय और परंपराओं को जीवंत कर दिया। इसके बाद हॉर्नबिल कोहोर्ट और सिक्किम के सूफय़िम संगीत बैंड की रोमांचक प्रस्तुतियां दी गईं, जिससे शहरवासियों की भीड़ जुटी रही।
