
रेलवे क्लेम घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार की सुबह से पटना, नालंदा और कर्नाटक के मंगलूरु समेत पांच स्थानों पर एक साथ छापा मारा। प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई रेलवे में हादसे के बाद घायलों और मृतकों के नाम पर फर्जी तरीके से क्लेम हासिल करने से संबंधित मामले में की गई। घायलों और मृतकों के फर्जी दस्तावेजों के सहारे 2015-2018 के बीच सौ करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया था।
रेलवे में हादसे के बाद घायलों और मृतकों के नाम पर फर्जी तरीके से क्लेम हासिल करने से जुड़े मामलों के आकलन के बाद रेलवे की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसमें कहा गया था कि व्यापक पैमाने पर हादसों में फर्जी मौतों के नाम पर मुआवजे का दावा किया गया था। एक-एक व्यक्ति के नाम पर चार-चार बार मुआवजा लिया गया। करोड़ो के इस घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ के निर्देश पर सीबीआइ ने यह मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।
बाद में सीबीआइ की कार्रवाई को आधार बनाकर प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की जांच शुरू की थी। ईडी ने करीब 2564 रेलवे क्लेम रिकार्ड को खंगाला। ईडी ने बुधवार को पटना के रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र स्थित भूपतिपुर के संजीवनी पथ स्थित रेलवे के पूर्व न्यायिक अधिकारी आरके मित्तल, वकील बीएन सिंह के मकान में छापा मारा। जबकि नालंदा में जदयू नेता सह अधिवक्ता परमानंद सिन्हा उर्फ सुमन पटेल के आवास पर पर भी जांच टीम पहुंची। मित्तल को कुछ साल पहले भ्रष्टाचार के आरोप में सेवा से बर्खास्त किया गया था। परमानंद सिन्हा पेशे से वकील होने के साथ जदयू के नेता भी हैं। क्लेम दिलाने में इनकी भूमिका होने की बात कही जा रही है।