
भारत में इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को अक्सर ‘प्रछन्न भूख’ (हिडन हंगर) कहा जाता है और इससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इससे प्रतिरक्षा तंत्र (इम्युनिटी) कमज़ोर होता है, संज्ञानात्मक विकास धीमा होता है और थकान जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। मुख्य खाद्य पदार्थों और नमक का फोर्टिफिकेशन इन पोषण संबंधी फर्क को पाटने के लिहाज़ से एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में उभरा है। सरल लेकिन शक्तिशाली हस्तक्षेप के रूप में, फोर्टिफाइड नमक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करता है जो बहुत से लोगों को उनके नियमित आहार से नहीं मिल सकते।
मार्च को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है और यह संतुलित आहार तथा आवश्यक पोषक तत्वों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने का समय होता है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है। नमक सहित मुख्य खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन इनकी कमी को दूर करने के लिए प्रभावी माध्यम के रूप में उभरा है। भारत में नमक के आयोडीनीकरण की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, जिसका लक्ष्य था आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों (आईडीडी) से निपटना। 1960 के दशक में ऐतिहासिक कांगड़ा घाटी परियोजना ने साबित किया कि गॉयटर आयोडीन की कमी के कारण होता है और कहा कि पोटेशियम आयोडेट के इस्तेमाल से तैयार आयोडीन युक्त नमक सबसे प्रभावी समाधान है। इसके परिणामस्वरूप सार्वभौमिक नमक आयोडीनीकरण (Universal Salt Iodisation –USI) की शुरुआत हुई, जिसे आधिकारिक तौर पर 1992 में अनिवार्य कर दिया गया। इस तरह गैर-आयोडाइज्ड नमक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा और देश भर में आयोडीन युक्त नमक की पहुंच सुनिश्चित हुई। पिछले कई साल से सरकारी पहलें, गैर सरकारी संगठनों और शोध संस्थानों के साथ मिलकर आईडीडी से निपटने के लिए मिलकर आगे बढ़ रही हैं। इस आंदोलन के अग्रदूतों में टाटा साल्ट भी शामिल है, जिसने 1983 में अपनी स्थापना के बाद से भारत में आयोडीन युक्त नमक को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लिंक – https://saltcomindia.gov.in/SIP_NIDCCP_Iodised_Program.aspx
विटामिन तथा मिनरल सहित सूक्ष्म पोषक तत्व बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, भारत में बहुत से लोग आहार संबंधी दिक्कतों या जागरूकता की कमी के कारण अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। आयोडीन, आयरन, ज़िंक और अन्य आवश्यक विटामिनों की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नमक का फोर्टिफिकेशन प्रभावी तरीकों में से एक है – जो पोषण संबंधी कमियों को दूर करने में मदद करता है।नमक के फोर्टिफिकेशन में आयोडीन के अलावा कई पोषक तत्वों को शामिल किया गया है। इसका लक्ष्य है, व्यापक पोषक तत्वों की कमी को दूर करना। उदाहरण के लिए, डबल-फोर्टिफाइड नमक (डीएफएस) में आयोडीन और आयरन होता है, जो एक साथ दो प्रमुख पोषण संबंधी परेशानी से निपटता है।ऐसे दौर में जब लोग स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा पर बहुत ध्यान देते हैं, आयोडीन और ज़िंक जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों का उचित सेवन सुनिश्चित करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। आयोडीन मानसिक विकास में मदद करता है और ज़िंक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने वाले आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है। इतना अधिक महत्वपूर्ण होने के बावजूद आम तौर पर, दैनिक आहार में इन पोषक तत्वों की अक्सर कमी होती है, जिससे लोगों के लिए अपने लिए आवश्यक मात्रा में इनका सेवन चुनौतीपूर्ण हो जाता है।लेकिन टाटा साल्ट इम्यूनो जैसे आयोडीन युक्त नमक, कम मात्रा में ही सही इन महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों के लगातार सेवन में मदद करते हैं, क्योंकि नमक एक बुनियादी ज़रूरत है जिसे लगभग हर खाद्य पदार्थ में मिलाया जाता है।
यूनिवर्सल साल्ट आयोडाइजेशन (यूएसआई) की सफलता के बावजूद, 100% राष्ट्रव्यापी कवरेज सुनिश्चित करना प्राथमिकता बनी हुई है। राष्ट्रीय पोषण माह सोच-समझ कर आहार चुनने की आवश्यकता की याद दिलाता है। उपभोक्ता फोर्टिफाइड नमक का चुनाव कर बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में छोटा ही सही लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं और इससे देश भर में हर घर तक आवश्यक पोषक तत्वों की पहुंच सुनिश्चित होगी।