
आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने सुपौल की तरह भोजपुर में भी साइबर ठगी के अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। भोजपुर के नारायणपुर गांव में सिम बाक्स की मदद से फर्जी तरीके से समानांतर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था। इसके तार भी कंबोडिया, थाईलैंड एवं अन्य देशों के साइबर अपराधियों से जुड़े हैं। इस मामले में आरोपित मुकेश कुमार को चार सिम बाक्स के साथ गिरफ्तार किया गया है। ईओयू ने सुपौल में अंतरराष्ट्रीय साइबर सिंडिकेट के भंडाफोड़ के बाद इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एसआइटी का गठन किया था। इसी सिलसिले में एसआइटी को भोजपुर में फर्जी एक्सचेंज चलाने की सूचना मिली, जिसके बाद बुधवार को छापेमारी कर मामले का उद्भदन किया गया।
यहां भी सिम बाक्स के माध्यम से कंबोडिया, थाईलैंड और अन्य देशों की साइबर धोखाधड़ी एवं फ्राड से जुड़ी इंटरनेट काल (वीओआइपी काल) को लोकल जीएसएम काल में रूपांतरित कर लोगों से साइबर धोखाधड़ी की जा रही थी। प्रारंभिक जांच में प्रतिदिन हजारों की संख्या में फर्जी काल किए जाने की जानकारी मिली है। इससे दूरसंचार विभाग को होने वाले राजस्व की क्षति का आकलन भी किया जा रहा है। सिम वितरकों व अन्य के ठिकानों पर छापेमारी जारी ईओयू के अनुसार, जांच में पाया गया कि सिम आपूर्तिकर्ता एवं टेलीकाम सर्विस प्रोवाइडर की मिलीभगत से अवैध सिम कार्ड हासिल करने का यह खेल चल रहा था।
कुछ कामन सर्विस सेंटर संचालक फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभार्थी बनाने का झांसा देकर गांव-गांव कैंप लगाते थे और आम जनता का बायोमीट्रिक डाटा ले लेते थे। इस बायोमीट्रिक डाटा की मदद से टेलीकाम सर्विस प्रोवाइडर के पंजीकृत डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर्स की मिलीभगत से बड़ी संख्या में सिम कार्ड हासिल किया जाता था। फिर इन्हीं सिम कार्ड को सिम बाक्स में लगाकर साइबर ठगी की जाती थी। इस मामले में संदिग्ध कामन सर्विस सेंटर संचालकों एवं सिम वितरकों के ठिकानों का पता चला है, जहां छापेमारी की जा रही है। मालूम हो कि ईओयू ने इसी माह 20 जुलाई को सुपौल में छापेमारी कर ऐसे ही साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया था। इस मामले में संचालक हर्षित समेत तीन की गिरफ्तारी हुई थी।