August 1, 2025

कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को असंवैधानिक बताते हुए इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी। यह निर्णय शुक्रवार की सुबह राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 मतों से पारित होने के बाद आया है। लोकसभा ने गुरुवार को 288 समर्थन और 232 विरोध मतों के साथ इसे पारित कर दिया था। संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के बाद पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना और भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पार्टी के कानूनी कदम की पुष्टि करते हुए कहा, “कांग्रेस बहुत जल्द वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी। हमें पूरा विश्वास है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे।” टीएमसी, डीएमके, आप, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और वामपंथी दलों समेत विपक्षी दलों ने बहस के दौरान विधेयक का कड़ा विरोध किया और इसे “मुस्लिम विरोधी” और “असंवैधानिक” बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधेयक का बचाव करते हुए इसे पारदर्शिता, जवाबदेही और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक “महत्वपूर्ण क्षण” बताया। उन्होंने कहा कि दशकों से वक्फ प्रणाली में पारदर्शिता की कमी थी, जिससे मुस्लिम महिलाओं, गरीब मुसलमानों और पसमांदा मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंच रहा था। सरकार के अनुसार, नए संशोधन वक्फ संपत्ति प्रबंधन को सुव्यवस्थित करेंगे, पंजीकरण प्रक्रिया को बढ़ाएंगे और रिकॉर्ड रखने में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ाएंगे।

विधेयक के खिलाफ संभावित विरोध प्रदर्शनों की चिंताओं के बीच जामिया मिलिया इस्लामिया और जामिया नगर सहित दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। किसी भी व्यवधान को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है। अधिकारियों ने कहा है कि सुरक्षा उपाय एहतियाती हैं और जब तक आवश्यक होगा तब तक लागू रहेंगे।

कांग्रेस ने सीएए, 2019, आरटीआई अधिनियम, 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों (2024) में बदलाव सहित अन्य विवादास्पद कानूनों के खिलाफ अपनी चल रही कानूनी लड़ाई को भी उजागर किया है। पार्टी नेताओं ने कहा है कि वे संवैधानिक प्रावधानों पर हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे। उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट इन मामलों की सुनवाई करेगा।

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