असम मंत्रिमंडल ने बहुबिवाह निषेध बिल को मंजूरी दे दी है। नए बिल के अनुसार एक से अधिक विवाह करने पर दोषी को अधिकतम सात साल की जेल हो सकती है। इसके अलावा, बहुबिवाह से प्रभावित महिलाओं के लिए विशेष कोष बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार सुबह कहा कि बहुबिवाह निषेध करने वाला यह बिल कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद 25 नवंबर को विधानसभा में पेश किया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आगामी 2026 विधानसभा चुनाव से पहले यह कदम मुख्यमंत्री के पक्ष में महत्वपूर्ण रणनीति साबित हो सकता है।
बिल में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने कानूनी रूप से तलाक के बिना पुनः विवाह किया, तो यह अपराध माना जाएगा। इसके अलावा, बहुबिवाह में शामिल अधिकारियों और धार्मिक नेताओं के लिए भी सजा का प्रावधान है।
हालांकि, कुछ मामलों में छूट दी गई है। तफसीली जातियों और असम के छठे अनुसूचित क्षेत्रों — बड़ोलैंड, दीमा हासाओ और कार्बी आंगलोंग — में रहने वाले लोग इस पाबंदी के दायरे में नहीं आएंगे।
मुख्यमंत्री का कहना है कि बहुबिवाह के कारण कई महिलाएँ असुरक्षित हो जाती हैं। बिल में प्रस्तावित कोष के जरिए प्रभावित महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह बिल हिमंत सरकार की मजबूत रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
