इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने सबसे – प्रेम और भाईचारे का व्यवहार करने, बिना धर्म व जाति का भेद किए सभी की मदद करने, इंसानियत की रक्षा करने, सच का साथ देने आदि का संदेश दिया है। ईश्वर ने उनके पास आसमान से पवित्र ग्रंथ कुरानशरीफ केवल मुसलमानों नहीं बल्कि पूरी दुनिया के इंसानों के मार्गदर्शन के लिए भेजा है। इस्लाम नफरत करना नहीं बल्कि सभी को गले लगाना सिखाता है।
ये बातें मोहम्मद साहब की जयंती ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर अंजुमन ए मोहम्मदिया द्वारा रविवार को मंगल तालाब स्थित उर्दू मैदान में अंजुमन द्वारा निकाले गए जुलूस ए मोहम्मदी में आयोजित सीरत कांफ्रेंस में खानकाह इमादिया मंगल तालाब के सज्जादानशी सैयद शाह मिस्बाहुल हक इमादी समेत देश के कई राज्यों से आए इस्लामिक शिक्षाविदों में कही। दौरान नारे तकबीर अल्लाहो अकबर का गगनभेदी आवाज गूंजता रहा।
इससे पहले अंजुमन द्वारा पश्चिम दरवाजा मोड़ से शाम में जुलूस ए मौहम्मदी निकाला गया। खानकाह मुजिबिया में उर्स को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ फुलवारी खानकाह र सुजिबिया में हजरत मोहम्मद साध्य की जयंती पर तीन दिवसीय उर्स को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ खानकाह परिसर की आकर्षक लाइट से सजाया गया है। वहीं खानकाह में रविवार की सुबह हजरत गए आजम बाद महफिलय सभा में कयालों में एक से बढ़कर एक सूफियाना कलाम पेश किया। देर शाम ईदमिल्लादून नदी का आयोजन किया गया, जिसमें इस्लाम के अंतिम गियर मोहम्मद साहब की जीवनी के बारे में बताया गया।