नेपाल में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण कोसी और गंडक सहित कई नदियों में आया रिकॉर्ड उफान बिहार के सीमांचल में अब कहर बरपाने लगा है। पानी के भारी दबाव की वजह से शनिवार की देर रात से लेकर रविवार की देर रात तक चार जिलों में छह जगहों पर कोसी, गंडक और बागमती का तटबंध टूट गया। जल संसाधन विभाग टूटे तटबंधों की मरम्मत में युद्धस्तर पर जुटा है, लेकिन ध्वस्त हिस्से की चौड़ाई बढ़ती जा रही है। गंडक तटबंध के क्षतिग्रस्त होने से नाराज विभाग ने बगहा के बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता निशिकांत कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पश्चिम चंपारण के बगहा में चखनी रजवटिया और अगस्तिया के बीच गंडक का चंपारण तटबंध 40 फीट में टूट गया।
वहीं, सीतामढ़ी के बेलसंड व रुन्नीसैदपुर तथा शिवहर के तरियानी छपरा में बागमती का तटबंध चार जगहों पर टूट गया है। बेलसंड में 100 फीट, रुन्नीसैदपुर के तिलक ताजपुर व खरहुआ में 10 फीट में तटबंध टूटा है। तटबंधों के टूटने से दर्जनों गांवों में पानी फैल गया है। सीतामढ़ी के बेलसंड में उधर, दरभंगा में कोसी का पश्चिमी तटबंध किरतपुर में देर रात टूट 15 फीट टूट गया। बिरौल एसडीओ उमेश कुमार भारती ने इसकी पुष्टि की है। अचानक आई इस आपदा से उत्तर प. चंपारण फीट में टूट्टा गंडक का तटबंध। इससे दर्जनभर पंचायतों में फैल रहा पानी। अस्पताल, सरकारी कार्यालयों और सड़कों पर तीन से चार फीट पानी बह रहा है। बाढ़ का जायजा लेने गए सीतीमढ़ी के डीएम व एसपी भी पानी के बीच फंसे हुए हैं। बिहार के अधिकतर जिलों में हाहाकार की स्थिति है।
कोसी का पानी तटबंध के भीतर बसे गांवों में तेजी से फैल रहा है और सुपौल व सहरसा की करीब साढ़े पांच लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है। वहीं, सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, मधुबनी आदि जिलों में बाढ़ से ज्यादा तबाही मची है। मधुबनी के जंझारपुर में कमला बलान रौद्र रूप धारण कर लिया है। पानी के दबाव से सैकड़ों सड़कें ध्वस्त हो गई हैं और बड़ी संख्या में लोग बांधों या उांचे स्थानों पर शरण लिये हुए हैं। बाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पानी भर गया है। जंगली जानवर बहकर रिहायशी इलाके में आ रहे हैं। लाखों लोगों के घरों में पानी घुस गया बगहा शहर के आधा दर्जन बाड़ों में गंडक का पानी भर गया है। बगहा एहतियात के तौर पर बिजली काट में है। 13 नदियां लाल निशान पारः 15 नदियों का जलस्तर रविवार को लाल निशान को पार कर गया। शांत हो रही गंगा मी फिर से बढ़ने लगी है। कई स्थानों पर इसका जालस्तर खतरे के निशान से पार पहुंचा है।