भारतीय बैंकों का मुनाफा पिछले 10 साल में 4 गुना बढ़ा है। इसके साथ ही बैड लोन की संख्या में भी बड़ी गिरावट आई है। निवेश समूह सीएलएसए की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में भारतीय बैंक की बैलेंस शीट काफी मजबूत हुई है और मुनाफा चार गुना तक बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉन परफॉर्मिंग लोन (नेट एनपीएल) जो पहले भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर बड़ा बोझ था, पिछले एक दशक में काफी कम हुआ है। इससे एसेट क्वालिटी में काफी सुधार हुआ है और बैंकों की पूंजी की स्थिति भी काफी अच्छी हो गई है। डिपॉजिट ग्रोथ रेट लोन ग्रोथ रेट के बराबर ही होना चाहिए। यह पिछले दो साल के औसतन 10 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2012-22 के दौरान 15 फीसदी हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि, पिछले एक दशक में चालू खाते के मामले में निजी बैंक सरकारी बैंकों से आगे निकल गए हैं और नॉन-डिपॉजिट लेंडिंग में भी कमी आई है। सीएलएसए की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले दो सालों में इस सेक्टर में लोन ग्रोथ अपने दशकीय औसत 10 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है, जिसका कारण सभी सब-सेगमेंट में कुछ बदलाव और संभवतः कॉर्पोरेट बॉन्ड प्रतिस्थापन है। लंबे समय से लोन ग्रोथ और डिपॉजिट ग्रोथ में तालमेल बना हुआ है। पिछले 5 से 7 सालों में कॉर्पोरेट क्रेडिट की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।